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गावो विश्वस्य मातरः !!……
गौ माता की उत्पति की कथा समुद्र मंथन से सुरु होती है | कहते है जब समुद्र मंथन हुआ तो मंदिरांचल पर्वत को समुंद्र मथने के लिए बुलाया गया,और श्री हरी विष्णु जी ने कश्यप (कछुआ) बन कर इस पर्वत को अपनी पीठ पर धारण किया और फिर समुद्र मंथन किया गया|
मातरः सर्वभूतानां गावः सर्वसुखप्रदाः।
समुद्र मंथन करने से समय वहां से अनेका अनेक बहुमूल्य रतन निकले, ऐसा मन गया है की समुद्र मंथन से ३ प्राणी रत्न निकले जिसने साथ सूंध वाला ऐरावत हाथी, सप्तमुखी उच्सर्वा घोडा, और ५ कामधेनु रूपी गौ माता, नंदा, सुभद्रा, सुरभि, सुशीला, और भौरा. इन पांचो गौ माताओं की सेवा हेतू पांच ऋषियों को चुना गया.